Radha Krishna shayari
कोई कह दो यशोदा से जाकर
बातें अब बड़ी बनाने लगे है,
श्याम माखन चुराते-चुराते
अब तो दिल भी चुराने लगे है.
जिस पर राधा को मान हैं,
जिस पर राधा को गुमान हैं,
यह वही कृष्ण हैं जो राधा
के दिल हर जगह विराजमान हैं.
राधा-कृष्णा ही प्रेम की सबसे
अच्छी परिभाषा है,
बिना कहे जो समझ में आ जाए,
प्रेम ऐसी भाषा है,
कन्हैया को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा,
पूरे खत में सिर्फ कान्हा का ही ,
नाम लिखा।
जय श्री कृष्णा।
मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया
जमुना के तट पे विराजे हैं,
मोर मुकुट पर कानों में कुंडल
कर में मुरलिया साजे हैं,
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हर शाम हर किसी के लिए सुहानी नहीं
होती, हर प्यार के पीछे कोई
होती,कुछ असर तो होता है,
दो आत्मा के मेल कावरना गोरी राधा,
सांवले कृष्णा की दीवानी न होती,
पाने को ही प्रेम कहे,
जग की ये है रीत..
प्रेम का सही अर्थ समझायेगी
राधा-कृष्णा की प्रीत,
नन्दलाल की मोहनी सूरत दिल में बसा रखे हैं,
अपने जीवन को उन्ही की भक्ति लगा रखे हैं,
एक बार बाँसुरी की मधुर तान सुनादे कान्हा,
एक छोटी से आस लगा रखे हैं.
राधा मुरली-तान सुनावें
छीनि लियो मुरली कान्हा से
कान्हा मंद-मंद मुस्कावें
राधा ने धुन,प्रेम की छेड़ी
कृष्ण को तान पे,नाच नचावें
****जय श्री राधे कृष्णा,
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राधा की हृदय में श्री कृष्ण,
राधा की साँसों में श्री कृष्ण,
राधा में ही हैं श्री कृष्ण,
इसीलिए दुनिया कहती हैं
राधे-कृष्ण राधे-कृष्ण