gulzar love shayari in hindi
सोचकर बाजार गया था अपने कुछ !!
आंसू बेचने हर खरीददार बोला अपनों !!
के दिए तोफे बेचा नहीं करते !!
मै ही मनाऊ हमेशा तुझे !!
कभी तू भी तो मना मुझे !!
महसूस तो करू कैसा लगता है !!
जब यार अपना मनाता है !!
अगर किसी से बिछड़ने का डर तुम्हें हर !!
रोज़ रहने लगे तो यकीन मानो कि उस !!
इंसान को तुम एक दिन खो ही दोगे !!
मुझे लगता था उसे मुझसे !!
मोहब्बत है कहा न लगता था !
इश्क़ की अपनी ही बचकानी ज़िद !!
होती है चुप करवाने के लिए भी !!
वही चाहिए जो रुलाकर गया है !!
sad gulzar shayari
बिछड़ते वक़्त मेरे सारे ऐब galti गिनाये उसने !!
सोचता हूँ !!
जब मिला था तब कोन सा हुनर था मुझमे !!
धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम !!
और फिर पूरी उम्र
गांठ बांधने में निकल जाती है !!
हर तरीका आज़मा चुका हूँ तुम्हें मनाने का !!
कहाँ से सीख के आये हो ये अंदाज रूठ जाने का !!
कौन देता है उम्र भर का साथ !!
लोग जनाज़े में भी कंधा बदलते है !!
हमें भी सीखा दो यूँ भूल जाने का हुनर अब !!
हमसे रातों को उठ उठ कर रोया नहीं जाता !!