gulzar shayari on life
तमाशा करती है मेरी जिंदगी !!
गजब ये है कि तालियां अपने बजाते हैं !!
तुम लौट कर आने की तकलीफ़ मत करना !!
हम एक ही मोहब्बत दो बार नहीं किया करते !!
हम अपनों से परखे गए हैं कुछ गैरों की तरह !!
हर कोई बदलता ही गया हमें शहरों की तरह !!
तजुर्बा कहता है रिश्तों में फैसला रखिए !!
ज्यादा नजदीकियां अक्सर दर्द दे जाती है !!
मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो !!
नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं !!
gulzar ki shayari
मोहब्बत आपनी जगह नफरत !!
अपनी जगह मुझे दोनो है तुमसे !!
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता !!
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है !!
आइना देख कर तसल्ली हुई !!
हम को इस घर में जानता है कोई !!
“खता उनकी भी नहीं यारो वो भी क्या करते !!
बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते !!
तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ !!
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ !!