Patang mahotsav
मेरी पतंग भी तुम हो
उसकी ढील भी तुम
मेरी पतंग जहां कटकर गिरे!
वह मंज़िल भी तुम
मन के हर ज़ज़्बात को
तस्वीर रंगों से बोलती है
अरमानों के आकाश पर
पतंग बेखौफ़ डोलती है
patang mahotsav
मोहब्बत एक कटी पतंग
है साहब गिरती वहीं है जिसकी
छत बड़ी होती है
सारी दुनिया को भुला के रूह
को मेरे संग कर दो मेरे धागे से बंध
जाओ खुद को पतंग कर दो
मुझे मालूम है उड़ती पतंगों की
रवायत गले मिलकर गला काटूं
मैं वो मांझा नहीं
patang mahotsav
एक ही समानता है पतंग और
ज़िंदगी में ऊंचाई में हो तब तक
ही वाह-वाह होती है
प्रेम की पतंग उड़ाना नफरत के
पेंच काटना मांझे जितना लंबा रिश्ता
बढ़ाना,दिल से इसे निभाना
मोहब्बत की हवाओं में इश्क की
पतंग हम भी उड़ाया करते थे वक्त
गुजरता रहा और धागे उलझते रहे
patang mahotsav from wikipedia
अपनी कमजोरियों का जिक्र कभी
न करना जमाने में लोग कटी पतंग
को जमकर लूटा करते हैं
मीठे गुड में मिल गए तिल
उडी पतंग और खिल गए दिल