safar manzil shayari
सफर की कठिनाइयां मंज़िल की खूबसूरती बयां करती हैं!
मैं अकेला ही चला था जानिब ए मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया!
ऑफिस के एक कमरे को अपनी दुनिया बनाने से
बस पैसे मिलते है पर पूरी दुनिया घूम कर उसे ही
अपना घर बना लो तो ख़ुशी मिल जाती है।
ज़िन्दगी भर की खुशियाँ किसी को नहीं मिलती
इसी लिए हमे खूबसूरत जगहों पे घूमते रहना चाहिए
क्यूंकि हर खूबसूरत सफर में हम छोटी छोटी
ज़िंदगियाँ बिता सकते हैं खुशहाल होके!
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा!
कहीं जाना चाहते हैं तो आज चले जाए क्यूंकि
किसी ने सच ही कहा है क्या पता कल हो ना हो।
निर्वाण हमें यूँ ही नहीं मिलता
हमें उस तक का सफर तय करना होता है!
बहुत कर लिया मलाल ज़िन्दगी में
चलो आज अपनी ज़िन्दगी जी लेते हैं
रह चुके बहुत हम घर में सिमट कर
चलो आज घर से कहीं दूर चलते हैं!
दिल से मांगी जाए तो हर दुआ में असर होता है
मंजिलें उन्हीं को मिलती है जिनकी जिंदगी में सफ़र होता है!
पहाड़ों के बीच ऐशो.आराम की चीज़ें तो नहीं मिलती
मगर आराम और चैन ज़रूर मिल जाता है।
घूमना है मुझे ये सारा जहां तुम्हे अपने साथ लेके
बनानी हैं बहुत सी यादें हाथों में तुम्हारा हाथ लेके!
मुसीबतें लाख आएंगी जिंदगी की राहों में
रखना तू सबरए मिल जाएगी तुझे मंजिल इक दिन
बस जारी रखना तू सफ़र!
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