manzil safar shayari
सफर ए जिन्दगी का बस अब कट-सा रहा है !!
जिन हौसलों में जान बाकि थी अभी !!
वो भी लगता है अब थोड़ा-घट सा रहा है !!
जब हमसफ़र अपना बेखबर हो जाते है तब !!
वो ज़िन्दगी में हमारे गमों का सफर लाता है !!
अजीब सा सफर है ये ज़िंदगी !!
मंज़िल मिलती है मौत के बाद। !!
ज़िंदगी के सफर में हिंदी वाला सफर करते रहिये !!
वर्ना अंग्रेजी वाला “Suffer” तो लगा ही रहेगा !!
क्या बताऊं कैसे गुज़र रही है राह-ए-ज़िंदगी !!
शामें तन्हा है और रातें अकेली !!
माना की ज़िंदगी में गम बहुत है !!
कभी सफर पर निकलो और देखो खुशियां !!
मैं तो यूँ ही सफर पर निकला था !!
एक अजनबी मिला और उसने अपना बना लिया !!
मैं तो यूँ ही सफर पर निकला था !!
एक अजनबी मिला और उसने अपना बना लिया !!
अब जाना मैंने ज़िंदगी क्या है !!
सफर में भी हूँ लेकिन जाना कहीं नहीं है !!
अब जाना मैंने ज़िंदगी क्या है !!
सफर में भी हूँ लेकिन जाना कहीं नहीं है !!
ज़िंदगी की खूबसूरती देखना है !!
तो कभी सफर पर निकलो !!
अगर अपने आप से ऊब जाए तो जरूर सफर पर निकल जाय !!
हो सकता है की आपकी ज़िंदगी संवर जाए !!
ज़िंदगी एक ऐसा सफर है !!
जिसकी राह ही इसकी मंज़िल है !!
ज़िंदगी एक सुहाना सफर है !!
अगर साथ एक मनचाहा हमसफ़र है !!
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