manzil se jyada safar shayari
आरज़ू थी मिले हमसफ़र मुझे भी ज़िंदगी के सफर में !!
तलाश मेरी पूरी हुई जब ज़िंदगी ने मिलाया मुझे तुमसे इस सफर में !!
आज फिर तेरी यादों के सफर में खो गया !!
ना मंज़िल मिली ना सफर पूरा हुआ !!
सफर में हूँ मंज़िल आँखों में बसाये !!
अभी अरमान मेरे अधूरे से है !!
क्या खूब सफर है ये ज़िंदगी !!
हर रोज़ वही सुबह और वही शाम !!
फिर भी हर रोज़ का सवेरा नया लगता है !!
ज़िंदगी के सफर में किसी के साथ का !!
क्या भरोसा अकेले आये थे अकेले जाना है !!
ज़िंदगी के सफर के पड़ाव कई बिता दिये !!
पर किरदार हमारा है के कुछ बदलता नहीं !!
ज़िंदगी के इस सफर में रिश्तों का बोझ जितना !!
कम हो सफर उतना आसान हो जाता है !!
लोग चाहे जितना भी करीब हो लेकिन हर !!
कोई अकेला है ज़िंदगी के इस सफर में !!
सफर करने से ज़िंदगी का अनुभव बढ़ता है
वो मंजिल ही क्या जिसके रास्ते में मजा न हो !!
ख्वाहिश इतनी है कि मंजिल मिल जाए मौत से पहले !!
नई चीज़ों से रु ब रु होना चाहते है !!
तो एक बार अकेले सफर पर निकलें !!
ज़िंदगी के सफर में हूँ लेकिन मानो !!
कहीं गहरे पानी सा ठहरा सा हूँ !!
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