safar e zindagi shayari
ज़िन्दगी के सफ़र में सबको साथ लेकर चलते रहो !!
वरना ज़िन्दगी अफ़सोस से भरी रहेगी !!
कितने दुख हैं इस जीवन में !!
पर सफ़र पर निकल के देखो कितनी खुशियां हैं !!
उम्र बिना रुके चली जा रही है !!
लगता है सफ़र लम्बा है !!
ये रास्ते कहां तक हैं इनका कोई किनारा क्यों नहीं दिखता !!
इस तन्हाई में कोई सहारा क्यों नहीं दिखता !!
अब घर में मैं मेहमान हो गया हूँ रोज़ आता जाता हूँ !!
यूही लगता है अब बेघर हो गया हूँ मैं !!
ये रास्ता मुझे समझ नहीं आता !!
मुसाफ़िर हूँ मैं और मंजिल का कुछ पता नहीं !!
ये सफ़र है लगता है अब मेरा कोई घर नहीं !!
ताउम्र सफ़र में बिता दी ज़िंदगी मैने !!
अब लगता है कि सफ़र का हि हूँ मैं !!
ख्वाहिश में मेरी केवल इतना गम है !!
कि मैं तेरी यादो के सहारे सफ़र में चलता जा रहा हूँ !!
मुझे ख़बर थी मेरा इन्तजार घर में रहा !!
ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा !!
उम्र भर मंजिल की तलाश में रहे हम !!
सफर गुजर गया मगर फिर भी !!
मंजिल की आश में रहे हम !!
तुम जहाँ भी जाते हो किसी न किसी तरह !!
वह तुम्हारा हिस्सा बन जाता है !!
एक सफ़र वो है जिस में !!
पाँव नहीं दिल दुखता है !!
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