shayri for father
भले ही वो अपने जज्बात
जाहिर नहीं करते मगर
पापा से ज्यादा प्यार
और कोई नहीं करते!!
कभी घोडा बनके घुमाते हे पापा !!
कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखाते हे पापा !!
माँ अगर पैरो से चलना सिखाती हे तो !!
अपने पैरो पर चलना सिखाते हे पापा !!
खुशियों से भरा हर एक पल होता है !!
जिन्दगी का हर पल सुनहरा होता है !!
मिलती हे मंजिल उनको जिनके !!
सर पर पिता का हाथ होता है !!
इज्जत भी मिलेंगी !!
दौलत भी मिलेंगी !!
सेवा करो माता पिता की !!
जन्नत भी मिलेंगी !!
मंजिल हे दूर और सफर बहुत है !!
मुझे अपनी जिन्दगी की फ़िक्र बहुत है !!
मार डालती ये दुनिया हमको कब की !!
लेकिन पापा के प्यार में असर बहुत है !!
निकाल के जिस्म से !!
जो अपनी जान देता है !!
बड़ा ही मजबूत हे पिता !!
जो अपनी बेटी का कन्यादान !!
करता है!!
बड़े बेफिक्र बेपरवाह !!
बेखौफ होकर चलते है !!
बच्चे जब पिता की उगली !!
पकड़कर चलते है !!
ये खुदा मेरे पापा को !!
सही सलामत रखना !!
में रहु या ना रहु मेरे !!
पापा का ख्याल रखना !!
मेरी जिन्दगी में जो आज !!
ये दौलत शोहरत और इज्जत है !!
वो सिर्फ मेरे पापा की बदौलत है !!
मेरा अतीत हो आप !!
मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो आप !!
मेरी हर इच्छा पूरी करने वाले !!
खुदा से बढकर हो पापा आप !!