dard matlabi shayari
बहुत घमंड भी था मुझे तुम्हारा होने का !!
पर घमंड था ना एक दिन टूटना ही था !!
घमण्ड एक ऐसी दीमक है !!
जो आपके सभी रिश्तों को खा जाएगी !!
गुरुर में आ के किसी रिश्ते को तोड़ने से अच्छा है !!
माफ़ी माँग के वही रिश्ता निभाया जाए !!
मैं अन्धेरा हूं तो अफसोस क्यूं करूं !!
मुझे गुरूर है रोशनी का वजूद मुझसे है !!
तेरी अकड़ दो दिन की कहानी हैं !!
मेरा गुरूर तो खानदानी हैं !!
matlabi log shayari in hindi
हम खुदा से उस शक्स को पाने की दुआ कर बैठे है !!
जिसे खुद के होने पे हीइतना घमंड है !!
खुदा जब हुस्न देता है तो !!
नज़ाकत आ ही जाती है !!
वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता हैं !!
जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूढ़ता हैं !!
घमंड और पेट जब ये दोनों बढ़तें हैं !!
तब इन्सान चाह कर भी किसी को गले नहीं लगा सकता !!
किरदार में मेरे भले अदाकारियाँ नहीं हैं !!
खुद्दारी हैं गुरूर हैं पर मक्कारियाँ नहीं हैं !!