Intezar Shayari
फरियाद कर रही है यह तरसी हुई निगाह !!
देखे हुए किसी को ज़माना गुजर गया !!
उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम इंतज़ार का !!
पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहार का !!
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एक लम्हे के लिए मेरी नजरों के सामने आजा !!
एक मुद्दत से मैंने खुद को आईने में नहीं देखा !!
बुझ गये अब उसके इंतज़ार के वो दीये !!
कहीं आस-पास भी उस की आहट नहीं रही !!
मुझको अब तुझ से मोहब्बत नहीं रही !!
ऐ ज़िन्दगी तेरी भी मुझे ज़रूरत नहीं रही!!
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ये इंतज़ार न ठहरा कोई बला ठहरी !!
किसी की जान गई आपकी अदा ठहरी !!
उसके ना की उम्मीद तो नहीं, फिर भी !!
उसका इंतज़ार किये जा रहे है !!
खूबसूरत का पता नहीं, लेकिन मज़ा बहुत आता है !!
प्यार में भी और इंतज़ार में भी !!
आहिस्ता आहिस्ता धड़कन बढ़ने लगती है !!
जब इंतज़ार की घड़ी कम होने लगती है !!
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इंतज़ार उनके आने का खत्म ना हुआ !!
हम हर एक आहत में उनको ही ढूंढते है !!
सही समय के इंतज़ार में रहती है, फिर भी !!
जाने क्यों ये किसी और को ढूंढती रहती है !!