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गुजर गया आज का दिन भी पहले की तरह !!
न उनको फुर्सत थी और न हमें ख्याल आया !!
वो मिली भी तो क्या मिली !!
बन के बेवफा मिली !!
इतने तो मेरे गुनाह ना थे !!
जितनी मुझे सजा मिली !!
सच बड़ी काबिलियत से छिपाने लगे हैं हम !!
हालात पूछने पर सब बढ़िया बताने लगे हैं हम !!
लिखता रहूं ता उम्र तुम्हारी खातिर !!
इतनी कलम में स्याही नही !!
मै भी इतना काबिल नही !!
तुम भी इतनी शाही नही !!
खाकर ठोकर जमाने की, फिर लौट आए मयखाने में !!
मुझे देखकर मेरे गम बोले, “बड़ी देर लगा दी आने में !!
हल्की हल्की सी हंसी, साफ इशारा भी नही !!
जान भी ले गए और जान से मारा भी नही !!
मुझे छूकर एक फकीर ने कहा !!
अजीब “लाश” है “सांस” भी लेती है !!
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उदास ना रहा कर तेरी मुस्कान अच्छी लगती है !!
दीदार तो दीदार है तेरी याद भी अच्छी लगती है !!
शायद अब लौट ना पाऊं कभी !!
खुशियो के बाजार में,गम ने ऊंची बोली !!
लगाकर खरीद लिया है मुझे !!
ना जाने कितनी अनकही बातें साथ ले जायेंगे !!
लोग झूठ कहते हैं की खाली हाथ !!
आये थे, खाली हाथ जायेंगे !!