alfaaz shayari dp
अलफ़ाज़ तो हमारे लिखे पढ़ लेता था !!
एहसास वो हमारे कभी पढ़ ना पाया !!
तेरी मुस्कान तेरा लहज़ा और तेरे मासूम से अलफ़ाज़ !!
और क्या कहूं बस बहुत याद आते हो तुम !!
काश तुम पढ़ लेते आँखों से अलफ़ाज़ !!
जुबां के मोहताज तो पराये होते हैं !!
सच जानना है तो आसुंओ से पूछो !!
अलफ़ाज़ अक्सर गुमराह कर देते हैं !!
वो कहते हैं, कुछ बोलते नहीं तुम !!
अब कैसे बताएं उन्हें, जज़्बात तो हैं !!
मगर अलफ़ाज़ नहीं !!
alfaaz shayari english
है अनकहा बहुत कुछ तेरे और मेरे बीच !!
मै तेरी ख़ामोशी का अलफ़ाज़ बनना चाहता हूँ !!
हम अल्फाजो से खेलते रह गए !!
और वो दिल से खेल के चली गयी !!
सभी तारीफ करते हैं मेरे तहरीर की लेकिन !!
कभी कोई नहीं सुनता मेरे अल्फ़ाजो की सिसकियाँ !!
कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फ़ाज़ मेरे !!
मतलब मोहब्बत में बर्बाद और भी हुए हैं !!
सिमट गया मेरा प्यार भी चंद अल्फाजों में !!
जब उसने कहा मोहब्ब्त तो है पर साहब तुमसे नही !!