shayari alfaaz
दिल छोड़कर और कुछ माँगा करो हमसे !!
हम टूटी हुई चीज का तोहफ़ा नही देते !!
मुद्दतें बीत गईं इक ख़्वाब सुहाना देखे !!
जागता रहता है हर नीद में बिस्तर मेरा !!
लुटा दिए थे कभी जो ख़ज़ाने ढूँढते हैं !!
नए जमाने में कुछ दिन पुराने ढूंढते हैं !!
यही एक राहत भी और गिला भी यही !!
वो मिला तो सही मगर मिला ही नही !!
adhure alfaaz shayari
हादसों की जद में हैं तो क्या मुस्कुराना छोड़ दें !!
जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें !!
शहर भर में मजदूर जैसे दर-बदर कोई न था !!
जिसने सबका घर बनाया, उसका घर कोई न था !!
अहसास अपने थे, अल्फाज़ भी अपने थे !!
बस वो ही नही पढ़ पाए, जो ख़ास अपने थे !!
ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है, मोहब्बत के लिए !!
फिर एक दूसरे से रूठकर वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है !!
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए !!
तू आज भी बेखबर है कल की तरह !!
बिछड़ के तुझसे किसी दूसरे पर मरना है !!
ये तजुर्बा भी इसी जिन्दगी में करना है !!