gulzar shayari in hindi
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता !!
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता !!
इश्क़ की तलाश में क्यों निकलते हो तुम !!
इश्क़ खुद तलाश लेता है जिसे बर्बाद करना होता है !!
तुझ से बिछड़ कर कब ये हुआ कि मर गए !!
तेरे दिन भी गुजर गए और मेरे दिन भी गुजर गए !!
वो शख़्स जो कभी मेरा था ही नही !!
उसने मुझे किसी और का भी नही होने दिया !!
सालों बाद मिले वो गले लगाकर रोने लगे !!
जाते वक्त जिसने कहा था तुम्हारे जैसे हज़ार मिलेंगे !!
chand shayari gulzar
जबसे तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ लगाई है !!
मीठा सा गम है और मीठी सी तन्हाई है !!
उतर रही हो या चढ़ रही हो !!
क्या मेरी मुश्किलों को पढ़ रही हो !!
तेरे इश्क़ में तू क्या जाने कितने ख्वाब पिरोता हूं !!
एक सदी तक जागता हूं मैं एक सदी तक सोता हूं !!
एक बीते हुए रिश्ते की एक बीती घड़ी से !!
लगते हो तुम भी अब अजनबी से लगते हो !!
प्यार में अज़ीब ये रिवाज़ है !!
रोग भी वही है जो इलाज है !!