hindi nafrat shayari
न मोहब्बत संभाली गई न !!
नफरते पाली गई अफसोस है उस !!
जिंदगी का जो तेरे पीछे खाली गई !!
तुम नफरत का धरना कयामत !!
तक जारी रखो मै प्यार का !!
इस्तीफा जिंदगी भर नही दूंगा !!
ज्यादा कुछ नही बदला उनके और मेरे बीच मे !!
पहले नफरत नही थी अब मोहब्बत नही है !!
जो आदमी लिमिट मे रहता है वो !!
ज़िन्दगी भर लिमिट मे ही रह जाता है !!
देखना मेरी तुम्हारी नफरतो मे खाख ना !!
हो जाए सबकुछ हम दोनो को भी आखिर !!
मे रहना तो है इसी बस्ती मे !!
कैसे उन्हें भुलाऊँ मोहब्बत !!
जिन्होने की मुझको तो वो भी !!
याद है नफ़रत जिन्होने की !!
अजीब सी आदत और गजब की !!
फितरत है मेरी मोहब्बत हो कि !!
नफरत हो बहुत शिद्दत से करता हू !!
पूरी दुनिया नफरतो की आग मे जल रही है !!
फिर भी ना जाने क्यो लोगों को ठंड लग रही है !!
ग़ज़ब की एकता देखी लोगो की ज़माने मे !!
ज़िन्दो को गिराने मुर्दो को उठाने मे !!
प्यार करता हूँ इसलिए फ़िक्र !!
करता हूँ जो नफ़रत करता !!
तो तेरा जिक्र तक न करता !!
मुझे ऑनलाइन देखते ही तेरा !!
ऑफलाइन हो जाना उफ़ !!
यह तेरी डिजिटल नफरत !!
नफरत मत करना मुझसे मुझे अच्छा ना लगेगा !!
बस प्यार से कह देना तेरी अब जरुरत नही है !!
हमे बर्बाद करना है तो हमसे प्यार करो !!
नफरत करोगे तो खुद बर्बाद हो जाओगे !!
हक़ से दो तो तुम्हारी नफरत भी कबूल हमे !!
खैरात में तो हम तुम्हारी मोहब्बत भी न ले !!
ये मोहब्बत है या नफरत कोई इतना !!
तो समझाए कभी मैं दिल से लड़ता !!
हूँ कभी दिल मुझ से लड़ता है !!
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