happy holi ki shayari
जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की,
और दफ़ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की।
बाज़ार, गली और कूचों में ग़ुल शोर मचाया होली ने,
दिल शाद किया और मोह लिया ये जौबन पाया होली ने।
फ़स्ल-ए-बहार आई है होली के रूप में,
सोलह सिंगार लाई है होली के रूप में।
कहीं पड़े न मोहब्बत की मार होली में,
अदा से प्रेम करो दिल से प्यार होली में।
अज़ कबीर-ओ-रंग-ए-केसर और गुलाल,
अब्र छाया है सफ़ेद-ओ-ज़र्द-ओ-लाल।
ले के आई है अजब मस्त अदाएँ होली,
मुल्क में आज नए रुख़ से दिखाएँ होली।
गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में,
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में।
हम से नज़र मिलाइए होली का रोज़ है,
तीर-ए-नज़र चलाइए होली का रोज़ है।
कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग,
कहीं पे श से सिमटे हुए जमाल का रंग।
चले भी आओ भुला कर सभी गिले-शिकवे,
बरसना चाहिए होली के दिन विसाल का।
माथे पे हुस्न-ख़ेज़ है जल्वा गुलाल का,
बिंदी से औज पर है सितारा जमाल का।
अगर आज भी बोली-ठोली न होगी,
तो होली ठिकाने की होली न होगी।
बड़ी गालियाँ देगा फागुन का मौसम,
अगर आज ठट्ठा ठिठोली न होगी।
है होली का दिन कम से कम दोपहर तक,
किसी के ठिकाने की बोली न होगी।
पूरा करेंगे होली में क्या वादा-ए-विसाल,
जिन को अभी बसंत की ऐ दिल ख़बर नहीं।
बहार आई कि दिन होली के आए,
गुलों में रंग खेला जा रहा है।
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