safar ki shayari in urdu
लम्हें भटक रहे हैं,हर पल हर पहर में
चल रहा हूँ मैं,या है ये वक़्त सफ़र में
ज़िन्दगी के सफर में कही ख्वाब टूट जाते हैं
संभाल सकें जो अक्सर वो हाथ छूट जाते हैं
कोई हसीं नज़ारा तो चाहिये नज़र के लिए
मंज़िल न सही राह तो चाहिए सफ़र के लये
zindagi ka safar shayari
मंज़िलों से बेगाना आज भी सफ़र मेरा
रात बे-सहर मेरी दर्द बे-असर मेरा
दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे
कितना बेकार तमन्ना का सफ़र होता है
कल की उम्मीद पे हर आज बसर होता है
safar ki shayari in urdu
कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई
आप कहियेगा सफ़र ये भी सफ़र है कोई
क्या बताऊँ कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैं ने किया
उम्र-भर किस किस के हिस्से का सफ़र मैं ने किया
एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफ़र
ज़िंदगी तेज़ बहुत तेज़ चली हो जैसे
मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा