जी लो जिंदगी शायरी
ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है
जहाँ कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है
जिसकी कफस में आँख खुली हो मेरी तरह
उसके लिये चमन की खिजाँ क्या बहार क्या
क्यूँ हम को सुनाते हो जहन्नुम के फ़साने
इस दौर में जीने की सजा कम तो नहीं है
अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहब्बत को वार दे
इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ
kya hai zindagi shayari
यूँ गलत नहीं होती चेहरों की तासीर लेकिन
लोग वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है
कोई ग़म से परेशान है कोई जन्नत का तालिब
गरज सजदे कराती है इबादत कौन करता है
यहाँ तहज़ीब बिकती है यहाँ फरमान बिकते हैं
जरा तुम दाम तो बोलो यहाँ ईमान बिकते हैं
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है
zindagi ka safar shayari
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फेंको
यहाँ झील सी गहरी खामोशी है
वो कहानी थी, चलती रही
मै किस्सा था, खत्म हुआ