zindagi na milegi dobara shayari
क्या गज़ब है उसकी खामोशी
मुझ से बातें हज़ार करती है
जेब में जरा सा सूराख क्या हुआ
सिक्कों से ज्यादा रिश्ते गिर पड़े
ये कहाँ मुमकिन है कि हर लफ़्ज़ बयाँ हो
कुछ परदे हो दरमियाँ ये भी तो लाज़मी है
इरादे बाँधता हूँ, सोचता हूँ, तोड़ देता हूँ
कहीं ऐसा न हो जाये, कहीं वैसा न हो जाये
jindgi ki shayari in hindi
हर नजर में मुमकिन नहीं है बेगुनाह रहना
वादा ये करें कि खुद की नजर में बेदाग रहें
अच्छा यकीन नहीं है तो कश्ती डुबा के देख
एक तू ही नाखुदा नहीं ज़ालिम खुदा भी है
घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है
पहले ये तय हो कि घर को बचायें कैसे
तुम्हारा सिर्फ इन हवाओं पे शक़ गया होगा
चिराग खुद भी तो जल-जल के थक गया होगा
zindagi par shayari
हवा से कह दो खुद को आज़मा के दिखाये
बहुत चिराग बुझाती है एक जला के दिखाये
लकड़ी के मकानों में चिरागों को न रखिये
अपने भी यहाँ आग बुझाने नहीं आते