matlabi rishte ghamand shayari
मेहनत करने वाले !!
व्यक्ति को घमंड नहीं होता है !!
बोल दिया होता तुम्हे दर्द देना है ऐ ज़िंदगी !!
मोहब्बत को बीच में लाने की क्या जरुरत थी !!
रूबरू होने की तो छोड़िये, लोग गुफ़्तगू से भी कतराने लगे हैं !!
गुरूर ओढ़े हैं रिश्ते, अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं !!
मुझे घमण्ड था अपने चाहने वालो का इस दुनिया में !!
वक्त क्या पलट गया सब की असलियत सामने आ गई !!
तोड़ना हीं है अगर तो घमण्ड तोड़ना !!
रिश्तें तो ग़लतफहमी में भी टूट जाते हैं !!
matlabi logo par shayari
आसमा इतनी बुलंदी पे जो इतराता है !!
भूल जाता है कि ज़मीन से नज़र आता है !!
वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता हैं !!
जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूढ़ता हैं !!
यूँ बदस्तूर जीना जारी तो रहा !!
लेकिन तू नहीं फिज़ा नहीं बयां नहीं निशां नहीं !!
Matlabi Shayari In Hindi
मत कर इतना घमंड बहुत पछताएगा !!
एक दिन खुद ही अपनी नजरो में गिर जाएगा !!
कुछ लोग अपने घमंड की वजह से !!
ना जाने कितने रिश्तों को खो देते हैं !!