matlabi duniya ki shayari
सिर्फ सुख मे तो पराए भी साथ देते है !!
लेकिन दुख मे जो काम आते है !!
वही परिवार कहलाता हैं !!
जब जब परिवार से दूर हुआ, तब तब बहुत दुखी हुआ !!
न जाने कैसा चैन मिलता हैं, परिवार के साथ जो कभी !!
महसूस नहीं किया किसी और के साथ !!
न मेरा एक होगा न तेरा लाख होगा !!
न तारीफ़ तेरी न मेरा मजाक होगा !!
गुरूर न कर शाह-ए-शरीर का !!
मेरा भी खाक होगा तेरा भी ख़ाक होगा !!
best Matlabi Shayari
ना इतराओ इतना बुलंदियों को छूकर !!
वक्त के सिकन्दर पहले भी कई हुए हैं !!
जहाँ होते थे कभी शहंशाह के महल !!
देखे हैं वहीं अब उनके मकबरे बने हुए हैं !!
अपने अंदर अहंकार !!
जैसी चीज का प्रवेश भी ना होने दें !!
क्योंकि वक्त के साथ साथ !!
झील का पानी भी कम हो जाता है !!
चेहरे पर हंसी छा जाती हैं !!
आँखों में सुरूर आ जाता हैं !!
जब तुम मुझे अपना कहते हो !!
मुझे खुद पर गुरूर आ जाता हैं !!
matlabi dost shayari
ना इतराओ इतना बुलन्दियो को छूकर !!
वक्त के सिकन्दर पहले भी कई हुए है !!
जहां होते थे कभी शहंशाह के महल !!
देखे है वही अब उनके मकबरे बने हुए है !!
मत कर हुस्न पर इतना घमंड !!
एक दिन यह भी दफन हो जायगा !!
कोई अपने साथ कुछ नहीं लेके जायगा !!
सब धरा का धरा रह जायगा !!
किसी भी बात का घमंड करोगे !!
तो बाद में बेहद पछताओगे !!
क्यूंकि घमंड सब कुछ चूर है करता !!
जिसका है घमंड उसको आपसे दूर करता !!
जब घमंड तेरा हद पार कर जाए तो !!
तब शमसान का एक चक्कर लगा आना !!
तुजसे बेहतरीन लोग वहां राख बने पड़े है !!