बेवफा शायरी इन हिंदी फॉर boyfriend
ना मिलता गम तो बर्बादी के अफसाने कहाँ जाते,
दुनिया अगर होती चमन तो वीराने कहाँ जाते,
चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई ग़ैर तो निकला,
सभी अगर अपने होते तो बेगाने कहाँ जात,
यूँ है सबकुछ मेरे पास बस दवा-ए-दिल नही,
दूर वो मुझसे है पर मैं उस से नाराज नहीं,
मालूम है अब भी मोहब्बत करता है वो मुझसे,
वो थोड़ा सा जिद्दी है लेकिन बेवफा नहीं,
ढूँढता हूँ मैं जब अपनी ही खामोशी को,
मुझे कुछ काम नहीं दुनिया की बातों से,
आसमाँ दे न सका चाँद अपने दामन का,
माँगती रह गई धरती कई रातों से,
ऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करना,
मेरे भरोसे को रुस्वा न करना,
दिल में तेरे कोई और बस जाये तो बता देना,
मेरे दिल में रहकर बेवफाई न करना,
मेरे पिता युद्ध में मारे गए थे और मेरी मां का देहांत तब,
हुआ जब मैं मात्र ग्यारह वर्ष का था। उसके,
बाद मुझे एक धार्मिक संस्थान में अध्ययन
के लिए भेज दिया गया, जहां का अनुशासन ,
बहुत सख्त था। मेरी मांधार्मिक महिला,
थीं और वहचाहती थीं कि मुझे धार्मिक शिक,
फ़िराक़ साहिब की सारी ज़िंदगी तन्हाई में,
गुज़री। आख़िरी ज़माने में तो घर में नौकरों,
के सिवा और कोई नहीं रहता था। कभी कभी तो तन्हा,
इतने बड़े घर में ख़ामोश बैठे हुए सिगरेट ,
पिया करते थे। ख़ास तौर से शाम को ये ,
तन्हाइयाँदर्दनाक हदतक गहरी हो जाती थीं,
अब दोस्तो के दिलो में,
दोस्ती के फूल नहीं खिलते
दिल में नफ़रत लिए हसकर मिलते हैं,
दिल के ज़ख्मो को भरने दो,
अभी आंसु निकले है और निकलने दो,
मत पूछो किसने दिल दुखाया है
वरना दोस्तो के चहरे उतर जाएंगे,
उसने सारे रिश्ते तोड़ दिए,
पता नहीं नराज किस बात से था,
सबसे ज्यादा करीब था वो मेरे और
वाकिफ वो मेरे हर एक जज्बात से था,
किस पर भरोसा करे हमें,
कुछ समझ में नहीं आता,
हमें आता है दोस्ती निभाना
मगर धोका देना नहीं आता,