shiv shayari
चेहरा उस का बनारस की सुबह जैसा
और ज़ुल्फें हैं लखनऊ की शाम जैसी
जो सुना ज़िक्र कही जन्नत का तो
सोची होगी खूबसूरत तेरे नाम जैसी
होती हैं सुबह मेरी अकसर तेरे पैगाम से
तेरी ज़ुल्फों ने चुराई खूबसूरती ढलती शाम से
रखा पाक दिल को निय्यत और निगाह को
जब भी देखा तुझे, देखा बड़े अहतराम से
खोया रहता हुँ तेरे खुमार में
ज़िंदगी गुज़ार दूँ तेरे इंतज़ार में
हूरें जलती हैं तेरी खूबसूरती से
ऐसी नज़ाकत हैं मेरे यार में
अपनी आँखों में तुम मेरे सपने सजाए
रखनासाँस थमने तक रिश्ता मुझ से यूँही
बनाए रखनातेरे खूबसूरत हाथों से पाते हैं जीला
बुझते दीपसरे शाम तुम मेरे नाम का चिराग
जलाए रखना
काश कभी हम दोनों एक दूसरे से खफा ना हो
लाख तूफान आए ज़िंदगी में मगर हम जुदा ना हो
अपनी खूबसूरत आगोश में तुम देना मुझे पनाह
दो जि स्म एक जा न हो हम, कोई फासला ना हो
मुझे मदहोश रहने दो इन आँखों से पिलाते रहो
नशा और बढ़ेगा तुम यूँही नज़रें मिलाते रहो
अपनी खूबसूरत ज़ुल्फों के साये में पनाह दे
अपनी चाहत में तुम मुझे यूँही मिटाते रहो
हवा में फिर आँचल अपना लहराया हैं
भटके परिंदों को यूँ रस्ता बताया हैं
कायनात थम सी गई वही पल भर
लबों पर तेरे जब मेरा नाम आया हैं
सूरज तुम्हारे लिए खुशीयों का लेकर
पैगाम आएमेरे लबों पर खुदा से पहले
हर दम तेरा नाम आए
ये दिलकश शामें बिखेरे तेरी खूबसूरत
ज़ुल्फों कोदेने रौशनी तेरे आँगन में चाँद
बन कर गुला म आए
आपकी खूबसूरती की तारीफ में
हम कौन सा नगमा सुनाएं अदभुत भोले तेरी माया
अमरनाथ में डेरा जमाया
नीलकंठ में तेरा साया
तू ही मेरे दिल में समाया
अल्फाज हमारे थम जाते है
होती नहीं आपकी तारीफ हमसे बया
तेरे हाथों से मिली बूँदें मुझे दरिया लगता हैं
ज़माने की चाहतें झूठी बस तू सच्चा लगता हैं
तुझ से हैं खूबसूरत रिश्ता मेरा सदीयों पुराना
कायनात में एक अपना तेरा चेहरा लगता हैं