meri zindagi shayari
बेगुनाह कोई नहीं गुनाह सबके राज़ होते हैं
किसी के छुप जाते हैं, किसी के छप जाते हैं
शहर में सबको कहाँ मिलती है रोने की जगह
अपनी इज़्ज़त भी यहाँ हँसने हँसाने से रही
मंजिलें होती हैं कुछ ऐसी कि जिनकी राह में
दम निकल जाए अगर तो फख्र की ही बात है
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला
zindagi shayari punjabi
मैं एक शाम जो रोशन दीया उठा लाया
तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया
उसका ये ऐलान है कि वो मजे में है
या तो वो फ़कीर है या फिर नशे में है
तेरी खामोशी, अगर तेरी मज़बूरी है
तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है
सारी ज़िन्दगी रखा रिश्तों का भ्रम
कोई अपने सिवा अपना न मिला मुझे
udas zindagi shayari
आज तो झगड़ा होगा तुझसे ऐ खुदा
मुश्किलें बढ़ा दी तो सब्र भी बढ़ा देता
अगर एहसास बयां हो जाते लफ्जों से
तो फिर कौन करता तारीफ खामोशियों की