zindagi shayari punjabi
अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े होके बड़े रहना भी
न रुकी वक़्त की गर्दिश न ज़माना बदला
पेड़ सूखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला
आँधी ने तोड़ दी हैं दरख्तों की टहनियां
कैसे कटेगी रात? परिंदे उदास हैं
सुना है अब भी मेरे हाथ की लकीरों में
नजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है
meri zindagi shayari
हुनर बताते अगर उसके ऐब को हम भी
तो दोस्तों में हमें भी शुमार कर लेता
ऐ सियासत तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया
गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया
नए रिश्ते जो न बन पाएं तो मलाल मत करना
पुराने टूटने न पाएं बस इतना ख्याल रखना
मौजों से खेलना तो सागर का शौक है
लगती है कितनी चोट किनारों से पूछिये
sad zindagi shayari
मेरे किस्से सर-ए-बाज़ार उछाले उसने
जिसका हर ऐब ज़माने से छुपाया मैंने
कट गया पेड़ मगर ताल्लुक की बात थी
बैठे रहे ज़मीन पर वो परिंदे रात भर