Gau mata shayari
गायों की सेवा करो रोज नवाओ
शीश खुश होकर देंगी तुम्हें वे
लाखों आशीष
बछड़े उनके जोतते खेत और खलियान
जिनसे पैदा हो रहे रोटी!सब्जी!धान
गोबर करता है यहाँ ईधन का भी काम
गो सेवा जिसने करी हो गये चारो धाम
गोबर से बढ़िया नही खाद दूसरी कोय
डालोगे गर यूरिया लाख बीमारी होय
गायों की सेवा करो और बचाओ जान
कान्हा आगे आयेंगे सुख की छतरी तान
बची नहीं गायें अगर! ऐसा होगा हाल
तरसेंगे फिर दूध को इस माटी के लाल
जब भी हो अंतिम समय करिये गैया दान
हमको यह समझा रहे अपने वेद पुरान
गाय हमारी माता है और हम है
इसके बच्चे देखो तो सही! माँ
कितनी सच्ची है और बच्चे
कितने गंदे और बच्चे कितने गंदे
गर्व से कहो गाय हमारी माता है
और हम उसके अटूट सहारा हैं
हम उसके अटूट सहारा हैं
दाने चुन चुन के चटोरे खा गए
तेरे हिस्से में हरे छिलके आ गए
गौ हत्या के गा के नग़मे यहाँ
कितने बे नाम नाम कमा गए