kharchi puja festival
कौन पहुंचा है कभी अपनी आखरी
मंजिल तक हर किसी के लिए थोडा !
आसमान बाकि है ये तुझको लगता
है तू उड़ने के काबिल नहीं सच तो ये है
की तेरे पंखों में अभी भी उड़न बाकि है !!
आज के दिन को सर झुकाकर करें सज़दा
मन की उमंगों को पँख लग जायेंगे
भर लिया ख़ुद को दुआओं से इस दिन
तो दूसरों के लिए भी दुआ कर पाएंगे !!
भ्रमर परागों पर बैठेगें धरी रहेगी
रखवाली खुश्बू ख़ुद उड़ने को आतुर
क्या कर लेगा जी माली हम तो खुशी बांटने
आये खुशी बांटकर जायेंगे चलो बजा
दो सारे मिलकर एक बार खुलकर ताली !!
अंदाज़ ऐसे हों की किसी के गले
का हार बन जाए जिस महफ़िल में
चले गए वो महफ़िल परिवार बन !
जाए किसी ख़ास त्यौहार पर ही
जाने क्यों होती हैं खुशियां जीना ऐसा
हो की अपना हर दिन त्यौहार बन जाए!!
इस ख़ास उत्सव को कुछ इस
तरह मनाकर देखें अपनों की !
तरह गैरों को भी अपना बनाकर
देखें ऊँचे ओहदे ज़ागीर क़ारोबार
से तो सज गये आज से जिंदगी को
नेक नियति से सजाकर देखें !!
जो गर चलना हो साथ, तो अपना
हाथ बढ़ा दीजिये हो गर मन में प्रेम
तो फिर मुस्कुरा दीजिये है आज
हमारा क्या पता कल हो ना हो कोई
गीत हो मन में तो फिर गुनगुना दीजिये!!